अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi
अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा / pdf Test in Hindi for All Exams ,Ctet/mptet/uptet/Rtet
अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा – सामान्य भाषा में अधिगम का अर्थ होता है – ” सीखना ” अर्थात जब बालक के द्वारा कुछ नया सीखा जाता है , तो उसे हम बाल -विकास या शिक्षा शास्त्र की भाषा के अंतरगर्त “अधिगम ” कहते है।
बालक गलतियां करता है और फिर उन गलतियों से सीखता है। फिर पुनः गलती करता है और उनसे सीखता है , और यह क्रम चलता रहता है।अतः इस प्रक्रिया को हम अधिगम या सीखना कहते है।
उदाहरण के लिए – यदि कोई छोटा बालक चाय को पीने से जल जाता है। तो वो कभी चाय को नहीं पियेगा।
अधिगम की विशेषताएं (definition)

- वुडवर्थ के अनुसार – ” नवीन ज्ञान और प्रक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया ही अधिगम है। “
- स्किनर के अनुसार – ” अधिगम या सीखना व्यवहार में सामंजस्य की प्रक्रिया है। “
- क्रो एंड क्रो के अनुसार – ” आदत , ज्ञान , अभिवृति एवं रुचियां का अर्जन ही अधिगम है। “
- गिलफोर्ड के अनुसार – ” व्यवहार के कारण व्यवहार में होने वाला परिवर्तन ही अधिगम है। “
- गार्डनर मर्फी के अनुसार – “अधिगम शब्द में वातावरण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए व्यवहार सम्बन्धी सभी प्रकार के परिवर्तन को शामिल किया जाता है। “
भाषा अधिगम की परिभाषा
➤ परिभाषा – भाषा का क्षेत्र विस्तृत है। जिसके अंतरगर्त बोलना वाली भाषा ,लिखने की भाषा ,सांकेतिक भाषा आदि सभी प्रकार के भाषा आती है। रोना , बलबलाना ,हाव -भाव , संकेत आदि ।
➤भाषा अधिगम के रूप ➨ आकलन ,बोध शक्ति ,शब्द भंडार , वाक्य निर्माण , शुद्ध उच्चारण आदि ∣
(i) पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जन्तुओ की अपनी अलग – अलग भाषा है І
(ii) अंग्रेजी , हिन्दी, भी सभी भाषा है І
(iii) भाषा अर्थहीन भी हो सकती है , जैसे की -संकेत भाव की भाषा І
(iv) एक गूंगे व्यक्ति की भी भाषा होती है,जिसे वह संकेत भाव से अपने शरीर के अंगो द्वारा प्रकट करता है І
(v) “बच्चा ” जब जनम लेता है ,और जब वह रोता है , तो वह उसकी प्रथम भाषा कही गयी है ।
अधिगम का सिद्धांत
अधिगम के सिद्धांत का प्रतिपादन थार्नडाइक ने किया था। जिसमे उन्होंने ” उद्दीपक और अनुक्रिया” के सिद्धांत को प्रतिपादित किया।
इसके अलावा अधिगम के कुछ सिद्धांत इस प्रकार है।
1 – सम्बन्धवाद सिद्धांत – इस सिद्धांत का प्रतिपादन ” थार्नडाइक ” ने किया था।इस सिद्धांत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है।
- इस सिद्धांत के विभिन्न उपनाम है। जो कि इस प्रकार है।उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत , प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत ,अधिगमबंध का सिद्धांत , S-R थियोरी आदि।
- इस सिद्धांत में थार्नडाइक ने अपना प्रयोग “बिल्ली ” पर किया था।
- थार्नडाइक ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन 1913 में किया था।
- यह सिद्धांत सीखने पर बल देता है।
- यह सिद्धांत विज्ञान विषय और गणित विषय के लिए अधिक उपयोगी है।
2 – अंतरदृस्टि या सूझ का सिद्धांत तथा गेस्टाइलट सिद्धांत – इस सिद्धांत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है।
- इस सिद्धांत में – वनमानुष और चिम्पांजी पर प्रयोग किया गया।
- इस सिद्धांत के प्रवर्तक वर्दीमर ,कोफ्फा और कोल्हर थे।
- यह सिद्धांत समस्याओं को सुलझाने के लिए स्वयं को ही खोजने पर बल देता है।
3 – सामाजिक अधिगम का सिद्धांत तथा प्रेक्षणात्मक अधिगम का सिद्धांत – इस सिद्धांत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है।
- इस सिद्धांत का प्रतिपादन अलबर्ट बंदुरा ने किया था।
- इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों का अनुकरण करता है।
- उदहारण के लिए – किसी अभिनेता को देखकर उसी की तरह व्यवहार करने का प्रयास करना।
4 – अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत – इस सिद्धांत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है।
- इस सिद्धांत का प्रतिपादन ” ईवानल पेट्रोविच पावलॉव ” द्वारा किया गया था।
- ” ईवानल पेट्रोविच पावलॉव ” का प्रतिपादन सन -1904 में किया था।
- इस सिद्धांत के अन्य उपनाम इस प्रकार है – शास्त्रीय अनुबंध का सिद्धांत , सम्बन्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत , उद्दीपक प्रतिक्रिया का सिद्धांत
- ” ईवानल पेट्रोविच पावलॉव ” ने यह प्रयोग एक कुत्ते के ऊपर किया था।
अधिगम की विधियाँ
अधिगम की विभिन्न विधियाँ है , जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण अधिगम विधियाँ इस प्रकार है।
1 करके सीखना विधि – जब बालक किसी कार्य को प्रत्यक्ष रूप से करके सीखता है, तो उसे हम ‘ करके सीखना ” विधि के अंतरगर्त मानते है। इस विधि में बालक किसी कार्य को स्वयं करते है और यदि कोई त्रुटि होती है ,तो उसका सुधार करके पुनः करते है।