बाल केंद्रित शिक्षा /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi
बाल केंद्रित शिक्षा / vikas pdf Test in Hindi for All Exams ,Ctet/mptet/uptet/Rtet
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नमस्कार दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने ” बाल केंद्रित शिक्षा /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi” के प्रश्नों का एक – एक करके संकलन किया है। साथ ही इस पीडीऍफ़ में हमने ” बाल विकास और शिक्षा शास्त्र ” के सभी topics को विषयवार cover किया है। इस नोट्स की विशेषता यह है , कि – इसमें आपको पढ़ने , समझने और याद करने में आसानी होगी। कियोकि इन नोट्स को आपके बालविकास एवं शिक्षा – शास्त्र को समझने और याद करने की समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
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PART -3
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बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली
बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली से तात्पर्य ऐसी शिक्षा प्रणाली से है ,जो कि बालक को केन्द्र में रखकर दी जाती है। बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति शिक्षा प्रणाली में बालक और बालक से संबन्धित सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण दिया जाता है।
बाल केन्द्रित शिक्षा के सिद्धांत
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(2 ) बाल केन्दित शिक्षा – बाल – केंद्रित शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों को बालक के बारे में विभिन्न तरह की जानकारी होना आवश्यक होता है।
→ बालक के व्यवहार ही जानकारी होना।
→ बालक की आवश्यकताओं की जानकारी होना।
→ बालक का मानसिक स्तर कैसा है ,इस बात की जानकारी होना।
→ बालक की किस क्षेत्र में रूचि है , अर्थात बालक की यदि अध्ययन में रूचि है , तो किस विषय में अधिक रूचि है। बालक यदि खेल में अच्छा है ,तो किस खेल में अधिक रूचि है।
→ बालक की योग्यताये क्या – क्या है। ?
→ बालक व्यक्तित्व कैसा है ?
बाल केन्द्रित शिक्षा में मनोविज्ञान की भूमिका
बाल केंद्रित शिक्षा की विशेषताएं
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बाल केंद्रित शिक्षा की विशेषताएं |
➤ बाल – केंद्रित शिक्षा पद्धति बालक को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा में बालक की आवश्यकताओं का पूर्ण ध्यान रखा जाता है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति एक वैज्ञानिक पद्धति है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति पिछड़े बालको के लिए मदतगार साबित हुई है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति प्रतिभाशाली बालको बढ़ावा देती है।
➤ बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति बालक और शिक्षक दोनों के लिए ही आवश्यक है।
मूल्यांकन क्या है
(i ) मूल्यांकन दो प्रकार का होता है। इसमें प्रथम मूल्यांकन में शिक्षक बालक का मूल्यांकन करता है , वही द्वितीय मूल्यांकन में बालक स्वयं का मूलयांकन करता है।
(ii ) शिक्षा पद्धति में क्या और कितना परिवर्तन करना है , इस बात की जानकारी शिक्षक को मूल्यांकन द्वारा ही प्राप्त होती है।
(iii ) मूल्यांकन द्वारा ही एक शिक्षक को बालक की कितनी प्रगति हुइ है , इसका पता चलता है।
(iv ) आधुनिक बाल विकास अथवा मनोविज्ञान में बालक की शिक्षा में कितनी प्रगति हुई है और कितनी सफलता एवं असफलता मिली है , इसका मापन भी मूल्यांकन पद्धति द्वारा किया जाता है।
उपरोक्त विवरण के आधार पर हम कह सकते है , कि मूल्यांकन की समस्त विधिया बालक के मनोविज्ञान पर आधारित होती है। और इन विधियों को प्रयोग में लाने से बालको के व्यवहार में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलता है।