Bal Vikas or Shiksha Shastra pdf notes in Hindi / विकास की अवस्थाएं
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नमस्कार दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने ” Bal Vikas or Shiksha Shastra pdf notes in Hindi / विकास की अवस्थाएं ” के प्रश्नों का एक – एक करके संकलन किया है। साथ ही इस पीडीऍफ़ में हमने ” बाल विकास और शिक्षा शास्त्र ” के सभी topics को विषयवार cover किया है। इस नोट्स की विशेषता यह है , कि – इसमें आपको पढ़ने , समझने और याद करने में आसानी होगी। कियोकि इन नोट्स को आपके बालविकास एवं शिक्षा – शास्त्र को समझने और याद करने की समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास
- शैशवावस्था – जन्म से 6 वर्ष तक का काल
- बाल्यावस्था – 6 वर्ष से 12 वर्ष
- किशोरावस्था – 12 वर्ष से 18 वर्ष
- प्रोढ़ावस्था – 18 वर्ष के बाद
एक बालक को अपने जीवन में विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरना होता है।बाल – विकास में इन अवस्थाओं का निर्धारण आयु द्वारा होता है। अर्थात बालक किस अवस्था में है ये उसकी आयु से पता चलता है। इस प्रकार जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव इन अवस्थाओं से गुजरता है। जैसा कि हम जानते है ,कि मनुष्य का शारीरिक और मानसिक विकास उसकी आयु के अनुसार अलग – अलग अवस्थाओं में अलग – अलग होता है। अतः बाल विकास में इन्ही अवस्थाओं का निर्धारण आयु द्वारा किया गया है।
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बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास |
प्रश्न 1 – बाल विकास की कितनी अवस्थाएं होती हैं ?
उत्तर – बाल विकास की अवस्थाओं अर्थात बालक के विकास की अवस्थाओं को मुख्यतः 4 भागों में बांटा गया है।
- शैशवावस्था –
- बाल्यावस्था –
- किशोरावस्था –
- प्रोढ़ावस्था –
पश्चिमी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बालक की अवस्थाये
हरलॉक के अनुसार विकास की अवस्थाएं–
- गर्भावस्था – गर्भधारण से जन्म तक का काल।
- नवजात अवस्था – जन्म से 14 दिन तक।
- शैशवावस्था – 14 दिन से 2 वर्ष तक का काल
- बाल्यावस्था – 2 वर्ष से 11 वर्ष
- किशोरावस्था – 11 वर्ष से 21 वर्ष
रॉस के अनुसार विकास की अवस्थाएं
- शैशवावस्था – 1 से 3 वर्ष तक का काल
- पूर्व बाल्यावस्था – 3 वर्ष से 6 वर्ष
- उत्तर बाल्यावस्था – 6 वर्ष से 12 वर्ष
- किशोरावस्था – 12 वर्ष से 18 वर्ष
जोन्स के अनुसार विकास की अवस्थाएं –
- शैशवावस्था – जन्म से 5 वर्ष तक का काल
- बाल्यावस्था – 5 वर्ष से 12 वर्ष
- किशोरावस्था – 12 वर्ष से 18 वर्ष
बाल – विकास के मनोवैज्ञानिकों के बालक के विकास की अवस्थाओं को अपने – अपने ढग से परिभाषित किया है। जिसमे काफी विरोधाभास है।
प्रश्न – – मनुष्य की कितनी अवस्थाएं होती हैं ?
उत्तर – मनुष्य की जन्म से लेकर मृत्यु तक विभिन्न अवस्थाये होती है। अर्थात मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक अलग – अलग विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरता है। ये अवस्थाये मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास के क्रम को दर्शाती से है। और यह क्रम मनुष्य की आयु निर्धारित करती है। जैसा कि हम जानते है , कि मनुष्य का शारीरिक विकास एक आयु तक ही होता है और फिर रुक जाता है परन्तु उसका मानसिक विकास जीवनभर चलता रहता है। इन्हीं विकास को और अधिक स्पस्ट रूप से समझने के बाल विकास में मनुष्य की अवस्थाओं का निर्धारण किया गया है।
भारतीय मनीषियो अनुसार विकास की अवस्थाएं
(i ) गर्भावस्था – इसके अंतरगर्त – ” गर्भाधान से जन्म तक ” के समय काल को शामिल किया जाता है।
(ii ) शैशववस्था – इसके अंतरगर्त – ” जन्म से 5 वर्ष तक ” के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iii ) बाल्यावस्था – इसके अंतरगर्त – ” पांच वर्ष से 12 वर्ष तक ” के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(iv ) किशोरावस्था – इसके अंतरगर्त – ” 12 वर्ष से 18 वर्ष तक ” के समय काल को शामिल किया जाता है।
(v ) युवा वस्था – इसके अंतरगर्त – ” 18 वर्ष से 25 वर्ष तक ” के समयकाल को शामिल किया जाता है।
(vi ) प्रौढ़ावस्था – इसके अंतरगर्त – ” 25 वर्ष से 55 वर्ष तक ” के समय काल को शामिल किया जाता है।
(vii ) वृद्धावस्था – इसके अंतरगर्त – ” 55 वर्ष से मृत्यु तक ” के समयकाल को शामिल किया जाता है।