bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi / प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं

bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi / प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं

 

 

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bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi / प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं

bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi / प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं

 

प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं

short notes Part-11  


 
नमस्कार दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने ” bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi / प्रौढ़ावस्था किसे कहते हैं” के प्रश्नों का एक – एक करके संकलन किया है। साथ ही इस पीडीऍफ़ में हमने ” बाल विकास और शिक्षा शास्त्र ” के सभी topics को विषयवार cover किया है। इस नोट्स की विशेषता यह है , कि – इसमें आपको पढ़ने , समझने और याद करने में आसानी होगी। कियोकि इन नोट्स को आपके बालविकास एवं  शिक्षा – शास्त्र को समझने और याद करने की समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। 

 

प्रौढ़ावस्था की परिभाषा

 

 

बालक के जीवन में  “प्रौढ़ावस्था ” किशोरावस्था के बाद आती है। जब बालक के जीवन में किशोरावस्था समाप्त हो जाती है तब ” प्रौढ़ावस्था ” आरम्भ होती है। सामान्य रूप से “प्रौढ़ावस्था ” का समय काल – 18 वर्ष की आयु से मृत्यु तक माना जाता है। 
परन्तु विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने इसकी आयु को अपने – अपने ढंग से परिभाषित किया है , जिसमे काफी मतभेद भी पाया जाता है। 
 

प्रौढ़ावस्था का अर्थ

प्रौढ़ावस्था को अंग्रेजी भाषा में  Maturity की अवस्था कहा जाता है। जिसका अर्थ होता है परिपक्वता। अर्थात जब बालक किशोरावस्था में होता है ,तब उसमे संवेगो की अधिकता और परिपक्वता की कमी पायी जाती है। परन्तु जब बालक प्रौढ़ावस्था में आता है तब उसमे समझदारी ,परिपक्वता ,सहनशीलता ,पायी जाती है। जो कि उसकी आयु के बढ़ने के साथ बढ़ती चली जाती है। 

प्रौढ़ावस्था
 

प्रौढ़ावस्था

 

प्रौढ़ावस्था की आयु/प्रौढ़ावस्था की उम्र/प्रौढ़ावस्था age

18 वर्ष की आयु से मृत्यु तक 
 
प्रौढ़ावस्था की विशेषताएं
 
  •    इस अवस्था तक बालक में सभी संवेगो का विकास हो चुका होता है। 
  •  इस अवस्था तक बालक का शरीरिक और मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है। 
  •  इस अवस्था में जिम्मेदारियों को समझना ,निभाना , आने लगता है। 
  •  इस अवस्था में परिपक्वता पूर्ण निर्णय लेने की प्रबलता पायी जाती है। 
 

प्रौढ़ावस्था की समस्याएं

 
  •   इस अवस्था में व्यक्ति सर्वाधिक मानसिक तनाव को वहन करता है। 
  •  इस अवस्था में व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं जैसे – आर्थिक , मानसिक , सामाजिक, पारिवारिक से गुजरना होता है। 
  •  इस अवस्था में जो अधिक आयु के व्यक्ति होते है , उन्हें अपने स्वास्थ्य से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं सामना करना पड़ता है।