शिक्षा मनोविज्ञान /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi

शिक्षा मनोविज्ञान /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi

 

 

शिक्षा मनोविज्ञान/ vikas pdf  Test in Hindi for All Exams ,Ctet/mptet/uptet/Rtet

 

 
शिक्षा मनोविज्ञान /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi

 

नमस्कार दोस्तों , इस आर्टिकल में हमने “” शिक्षा मनोविज्ञान  (EDUCATION PSYCHOLOGY) शिक्षा मनोविज्ञान /bal vikas or shiksha shastra pdf notes in Hindi” के प्रश्नों का एक – एक करके संकलन किया है। साथ ही इस पीडीऍफ़ में हमने ” बाल विकास और शिक्षा शास्त्र ” के सभी topics को विषयवार cover किया है। इस नोट्स की विशेषता यह है , कि – इसमें आपको पढ़ने , समझने और याद करने में आसानी होगी। कियोकि इन नोट्स को आपके बालविकास एवं  शिक्षा – शास्त्र को समझने और याद करने की समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। 
 

बालविकास एवं शिक्षा - शास्त्र
बालविकास एवं शिक्षा – शास्त्र

 

(SHORT NOTES- TOPIC 2)

 

 

मनोविज्ञान शब्द की उत्पत्ति

 

 
(1 )  सायकोलॉजी  –  ” सायकोलॉजी ”  शब्द की उत्पत्ति  “ग्रीक भाषा ” के दो शब्द – सायको  और लोगोस से हुई है I ग्रीक भाषा में  ” साइकी ” का  अर्थ –  आत्मा और लोगोस का अर्थ – ” विज्ञान ” है l इस प्रकार इस शब्द का पूर्ण अर्थ ” आत्मा का विज्ञान ” होता है ।   अर्थात ” ग्रीक भाषा ” में सायकोलॉजी को हम आत्मा 
का  विज्ञान कहते है । 

मनोविज्ञान का अर्थ

 

 

 

(2 ) मनोविज्ञान – सायकोलॉजी शब्द को हिंदी भाषा में  ” मनोविज्ञान ” कहते है । मनोविज्ञान से तात्पर्य  ” मन का विज्ञान ” अथवा – ” मानसिक क्रियाओं का  विज्ञान ” से है I  अर्थात ‘ मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान होता है , जो कि  हमारे  मन , मस्तिष्क से संचालित होता है ।  इस ” मनोविज्ञान ” शब्द के अर्थ में समय से साथ परिवर्तन देखने को मिला है l

 

 

जैसे कि –

 

(3  )  ई पू  से 16 वीं शाताब्दी तक के कार्यकाल तक – इसे  –  ” आत्मा का विज्ञान ” कहते थे । इसके पमुख समर्थक – ” सुकरात , प्लेटो , अरस्तु , रैम  , हॉबस  आदि ने किया था ।
(4  )   16 वीं शाताब्दी से 17  वीं  शताब्दी  तक के कार्यकाल तक – इसे  –  ” मन या मस्तिष्क  का विज्ञान ” कहते थे । इसके पमुख समर्थक – ” थॉमस , रीड , लॉक   आदि ने किया था ।

 

(5 )  17  वीं शाताब्दी से 19  वीं  शताब्दी  तक के कार्यकाल तक – इसे  –  ” चेतना  का विज्ञान ” कहते थे । इसके पमुख समर्थक – ” विलियम जेम्स , टिचनर , जेम्सली –  आदि ने किया था ।
(6  )  19   वीं शाताब्दी से  ” वर्तमान समय काल तक ”   के कार्यकाल तक – इसे  –  ” व्यवहार  का विज्ञान ” कहते थे । इसके पमुख समर्थक –  एकमात्र  ” वॉटसन ”   ने किया था ।

 

मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला

 

 

➤ पश्चिम के देशो में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला सर्वप्रथम – ” विलियम वुंट ” द्वारा स्थापित हुई थी ।

 

 

 

मनोविज्ञान के सिद्धांत

 

 

➤मनोवैज्ञानिक ” विल्सन के अनुसार – ” मन  मस्तिष्क के अंदर जो ” लिम्पिक सिस्टम ” होता है , उसमे मौजूद होता है “

 

➤ भारत में  लगभग – 20 ( बीसवीं शताब्दी)  में – ” पाश्चत्य मनोविज्ञान ” का अध्ययन प्रारम्भ हुआ ।

 

 

➤ वही हमारे प्राचीन भारतीय दर्शन में  मनोविज्ञान में ज्ञानिद्रिओं और अंतःकरण के अध्ययन पर बल दिया गया है ।  जिसमे कि  अंतःकरण के अंतरगर्त  – मन , बुद्धि , अहंकार , चित्त और आत्मा ) आदि के अध्ययन को बल दिया जाता है I इसके अंतरगर्त  ” चार कोषों “में व्यवहार को समझाया गया है । अर्थात इन चार कोषों से ही किसी इंसान के व्यवहार हो अच्छी तरह समझने में बल दिया गया है ।

 

 

वे चार कोष इस प्रकार है –

 

➤ अन्नमय कोष – अन्मय कोष के अंतरगर्त  हमारे शरीर की ” ज्ञानइन्द्रियों ” और  ” कर्म इन्द्रियों ” का अध्ययन किया जाता है ।

 

 

 प्राणमय कोष   भारतीय दर्शन में ” प्राणमय कोष ” के अंतरगर्त – ” शारीरिक क्षमता ” और  ” प्राण शक्ति ” कितनी है इसका अध्ययन मुख्य रूप से किया जाता है ।

 

 

(iii  ) मनुमय कोष – भारतीय दर्शन के अंतरगर्त – ” मनुमय कोष ” के अंतरगर्त  बालक के ” मन ” का अध्ययन किया जाता है ।

 

(iv  ) विज्ञानमय कोष – भारतीय दर्शन के मतानुसार  –  ” विज्ञान – मय ” कोष के अंतरगर्त – बालक की ” बुद्धि ” को शामिल किया जाता है ।

शिक्षा मनोविज्ञान नोट्स

 

 

 

नोट- मनोविज्ञान दर्शन शास्त्र की एक शाखा है – जिससे सर्वप्रथम – ” विलियम जेम्स ” द्वारा अलग किया गया था ।

 

➤भारतीय मनोविज्ञान के अनुसार –  मनोविज्ञान वह विज्ञान है , जो कि  ” बाह्य इन्द्रयों ” से प्राप्त हुए अनुभव जो कि  हमारे मस्तिष्क में होते है ,  को सुरक्षित रखता है । दूसरे शबदो में कहे तो ऐसा अनुभव जो  हमारे  मन – बुद्धि – अहम् – आत्मा  आदि  में सुरक्षित हो – मनोविज्ञान है I  भारत के मनोविज्ञानिकों अथवा विचारको ने  – मन – को  ” छट्टी इन्द्रिय ” कहा है ।

 

 मनोवैज्ञानिक – फेचनर के अनुसार – ” मनोविज्ञान का अध्ययन – मनोशारीरिक विधियों का विकास है ।

 

➤ मनोविज्ञानिक  फाईड और चुग के अनुसार – ” मनोविज्ञान के दो स्तर है – जिसमे कि 

प्रथम स्तर है –  चेतन जबकि दूसरा स्तर है —  अचेतन –  इसलिए – फ्राइड और चुग को – चेतन और अचेतन विज्ञान का जनक भी  कहा  जाता है ।”

 

 

 

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